विज्ञान के विद्यार्थी और पेशे से वैद्य होने के बावजूद गुरुदत्त (8 दिसम्बर 1894 - 8 अप्रैल 1989) बीसवीं शती के एक ऐसे सिद्धहस्त लेखक थे, जिन्होने लगभग दो सौ उपन्यास, संस्मरण, जीवनचरित, आदि का सृजन किया और भारतीय इतिहास, धर्म, दर्शन, संस्कृति, विज्ञानं, राजनीति और समाजशास्त्र के क्षेत्र में भी अनेक उल्लेखनीय शोध-कृतियाँ दीं।
देश की अराजकता का सम्बन्ध तो इस बात के साथ है कि सन् 1951 से लेकर सन् 1962 तक चीनियों की आक्रान्त प्रवृत्ति का ज्ञान होने पर भी, और सैनिक अधिकारियों के सचेत और सतर्क करने पर भी, भारत सरकार ने कुछ नहीं किया। करों से प्राप्त धन, अधिकारी और उनको मत देने वालों की वृद्धि में प्रयोग होता रहा।